सीधी भर्ती से आने वाले एवं पदोन्नति पाने वालों की वरिष्ठता के संबंध में दिनांक 19-11-2019 से संशोधित निर्देश एवं उनकी परस्पर वरिष्ठता के संबंध में: DoP&T Order dated 13.08.2021
सं. 20011/2/2019-स्था.(घ)
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग
नॉर्थ ब्लॉक, नई दिल्ली
दिनांक: 13 अगस्त, 2021
कार्यालय ज्ञापन
विषय: के. मेघचंद्र सिंह और अन्य बनाम निनगम सीरो एवं अन्य की वर्ष 2019 की सिविल अपील सं. 8833-8835 में भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय का निर्णय – सीधी भर्ती से आने वाले एवं पदोन्नति पाने वालों की वरिष्ठता के संबंध में संशोधित निर्देश एवं उनकी परस्पर वरिष्ठता के संबंध में।
अधोहस्ताक्षरकता को यह कहने का निदेश हुआ है कि केंद्रीय सिविल सेवाओं/पदों में सीधे भर्ती होने वाले एवं पदोन्नति पाने वाले कार्मिकों की परस्पर वरिष्ठता तय करने संबंधी मूल सिद्धांत, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी)के दिनांक 29.12.1959 के का.ज्ञा. सं. 9/11/55-आरपीएस में निर्धारित किए गए थे, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ यह भी उपबंधित था कि, सीधे भर्ती होने वालों एवं पदोन्नति पाने वालों की परस्पर वरिष्ठता का निर्धारण उनके मध्य रिक्त पदों के रोटेशन के अनुसार होगा, जो क्रमश: सीधी भर्ती एवं पदोन्नति हेतु भर्ती नियमों में उपलब्ध रिक्त पदों के कोटा पर आधारित होगा।
2. किसी रिक्ति वर्ष के रिक्त पदों, जो आगामी वर्ष में सीधी भर्ती से भरे जाने हैं, के अग्रनयन (कैरी फॉरवर्ड) को डीओपीटी के दिनांक 07.02.1986 के का.ज़ा. सं. 35014/2/80-स्था.(घ) में निहित संशोधित अनुदेशों के माध्यम से समाप्त कर दिया गया था, जिसके अनुसार वरिष्ठता निर्धारित करने हेतु, कोटा का रोटेशन, केवल उपलब्ध सीधी भर्ती वालों एवं पदोन्नति वालों की संख्या तक सीमित होगा। सामान्य अभ्यास के अनुसार, सीधी भर्ती अथवा पदोन्नति द्वारा भरी जाने वाली रिक्तियों की कुल संख्या निर्धारित करने के लिए, सीधी भर्ती/पदोन्नति कोटा के रिक्त पदों को अग्रेनीत किया जाएगा एवं अगले वर्ष (और आगामी वर्षों, जहां आवश्यक हो) की संबंधित सीधी भर्ती/पदोनन्नति कोटा रिक्तियों में जोड़ा जाएगा। सीधी भर्ती वालों और पदोन्नति वालों के मध्य परस्पर वरिष्ठता निधारित करने के लिए ऐसा, सीधी भर्ती वालों और पदोन्नति वालों हेतु रिक्तियों की संख्या की सीमा तक, उस वर्ष हेतु निधौरित कोटा के अनुसार, कोटा रोटेशन के अनुसार किया जाएगा तथा पिछले वर्ष की अग्रेनीत रिक्तियों के प्रति चयनित अतिरिक्त सीधी भर्ती वालों/पदोन्नति वालों को वरिष्ठता सूची में अंतिम पदोन्नत/सीधी भर्ती वाले, जैसा भी मामला हो, के पूर्णरूपेण नीचे रखा जाएगा। डीओपीटी दवारा दिनांक 03.07.1986 के का.ज्ञा. सं. 22011/786-स्था(घ) के माध्यम से वरिष्ठता के विषय पर सभी मौजूदा निर्देश समेकित किए गए थे।
3. तदनंतर, दिनांक 03.03.2008 के का.ज़ा.सं. 20011/1/2006-स्था.(घ) के माध्यम से दिनांक 07.02.1986/ 03.07.1986 के का.ज्ञा. में लिखित शब्द ‘उपलब्ध’ के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया, जहां यह स्पष्ट किया गया कि सीधी भर्ती एवं पदोन्नति दोनों ही मामलों में, रोटेशन एवं परस्पर वरिष्ठता निधौरण हेतु उपलब्धता वर्ष के रूप में, नियुक्ति के वास्तविक वर्ष की गणना की जाएगी। हालांकि, इसे सिविल अपील सं. 7514-7515/2005 में एन.आर. परमार बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले में भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई। उक्त मामले में दिनांक 27.11.2012 के अपने निर्णय में, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि परसुपर वरिष्ठता निर्धारण हेतु, उपलब्ध सीधी भर्ती वाले व पदोन्नति वाले का अर्थ उन सीधी भर्ती वालों व पदोंनन्नतों से होगा जो किसी विशेष रिक्ति वर्ष की रिक्तियों के विरूद्ध नियुक्त किए गए हों, यहां भर्ती वर्ष वह वर्ष होगा, जिसमें दोनों प्रकार (सीधी भर्ती या पदोन्नति) में से कोई भी भर्ती प्रक्रिया, किसी विशेष रिक्ति वर्ष हेतु प्रारंभ की गई हो अर्थात किसी रिक्ति वर्ष के प्रति भर्ती प्रक्रिया की शुरूआत का अर्थ उस दिनांक से होगा जब रिक्तियां भरने हेतु सीधी भर्ती के मामले में, भर्ती एजेंसी को मांग भेजी गई हो अथवा वह दिनांक जिस पर पदोन्नति हेतु निर्धारित रिक्तियों को भरने हेतु, डीपीसी आयोजित करने संबंधी, सब प्रकार से पूर्ण कोई प्रस्ताव यूपीएससी/अध्यक्ष-डीपीसी को भेजा गया हो।
4. किसी ग्रेड/पद में सीधी भर्ती वाले और पदोन्नति हुए कार्मिकों के बीच परस्पर वरिष्ठता के निर्धारण से संबंधित एन.आर. परमार मामले में निर्धारित किए गए कानून की भारत के माननीय उच्चतम न्यायात्रय द्वारा के. मेघचंद्र सिंह और अन्य बनाम निनगम सीरो एवं अन्य मामले में सिविल अपील सं. 2019 की 8833-8835 [एसएलपी (सी) सं. 2019 की 19565-19567 से उत्पन्न हुई] में समीक्षा की गई थी। के. मेघचंद्र सिंह और अन्य बनाम निनगम सीरो और अन्य के सीए सं. 8833-35/2019 में अपने दिनांक 19.11.2019 के आदेश में भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय ने एन.आर. परमार मामले में न्यायालय के निर्णय को रद्द कर दिया है।
5. दिनांक 19.11.2019 के आदेश के पैरा 40 में माननीय न्यायालय ने अन्य बातों के साथ-साथ यह निर्णय दिया कि “इस मुददे पर कानून को जे. सी. पटनायक (सुपरा) में सही रूप में घोषित किया गया है। परिणाम स्वरूप, हम एन.आर. परमार (सुपरा) में सुझाए गए परस्पर वरिष्ठता के मूल्यांकन की शर्तों को नामंजूर करते हैं। तदनुसार, एन.आर. परमार में दिए निर्णय को रद्द किया जाता है। तथापि, यह स्पष्ट किया जाता है कि यह निर्णय एन.आर. परमार पर पहले से आधारित परस्पर-वरिष्ठता को प्रभावित नहीं करेगा और इसका संरक्षण किया गया है। यह निर्णय, ऐसे मामले, जहां वरिष्ठता को संगत नियमों के अधीन रिक्ति की तारीख/विज्ञापन की तारीख से निधारित किया जाना है, के सिवाय; उत्तरव्यापी प्रभाव से लागू होगा।” इसके अलावा, माननीय न्यायात्रय ने पैरा 38 में, निम्नलिखित निर्णय दिया है:
“38 जब हम एन.आर: परमार (सुपरा) में निर्णय को स्रावधानीपूर्वक पढ़ते हैं तो हमें यह स्पष्ट होता हैं. कि सवर्भित कार्यात्रय ज़ापनों (दिनांक 0702 1986 ऑर 03.07 1986) को इस निर्णय में समुचित रूप से समझा नहीं गया था। अंतिम निष्कर्ष के विपरीत, उक्त दोनों कार्यात्रय ज़ापनों ने यह स्पष्ट किया था कि सीधी भर्ती वाले कार्मिकों की वरिष्ठता केवल नियुक्ति की तारीख से घोषित की जाए ना कि भर्ती प्रक्रिया के आरंभ होने की तारीख से/ लेकिन आश्चर्यजनक रुप से; यह निर्णय कार्यालय ज्ञापन में दिए गए उदाहरण का संदर्भ देते समय वास्तव में; उक्त उदाहरण के प्रशाव की अनदेखी करता हैं।
हमारे अनुसार, एन.आर; परमार (सुपरा) में उद्धरित उदाहरण स्वयं यह स्पष्ट करते हैं कि ऐसी रिक्तियों को जो किसी विशेष वर्ष (1986) में सीधी भर्ती के लिए नियत की गई थीं; जिन्हें अगले वर्ष (1987) में भरा गया था; केवल आगामी वर्ष की वरिष्ठता सूची में ही विचारण में लिया जा सकता है ना कि 1986 की वरिष्ठता सूची में। वास्तव में; इसे दिनांक 07.02.1986 और 03.07.1986 के इन दो कार्यात्रय ज़ापनों में दर्शाया गया था और इसीलिए सरकार ने पूर्व के इन दोनों कार्यालय ज्ञापनों के स्पष्टीकरण द्वारा दिनांक 03.03.2008 का अगला कार्यालय ज्ञापन जारी किया था”
6. भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा के. मेघचंद्र सिंह मामले में दिनांक 19.11.2019 के अपने आदेश में यथा निर्धारित सीधी भर्ती और पदोन्नत हुए कार्मिकों की परस्पर वरिष्ठता के निर्धारण की विधि कार्य विभाग के परामर्श से सावधानीपूर्वक जांच की गई तथा निम्नलिखित सिद्धांत सामने आए हैं:-
(i). अधिसूचित भर्ती नियमों/सेवा नियमों में सीधी भर्ती और पदोन्नति को आवंटित रिक्तियों की प्रतिशतता पर आधारित ‘कोटा के रोटेशन’ को एक भर्ती वर्ष में संबंधित कोटा द्वारा भरी जाने वाली रिक्तियों के निधारण हेतु संचालित करना जारी खखेंगे। “भर्ती वर्ष शब्द का आशय होगा ऐसा वर्ष जिसमें रिक्ति उत्पन्न होती है। तथापि, सीधी भर्ती और पदोन्नत हुए कार्मिक, जो संबंधित कोटा की रिक्तियों के समक्ष नियुक्त होते हैं; के बीच परस्पर वरिष्ठता पर उस वर्ष के संदर्भ में विचार किया जाएगा जिसमें वे नियुक्त हुए हैं अर्थीत वह वर्ष जिसमें वे संवर्ग में आते हैं या जिसमें औपचारिक नियुक्ति आदेश जारी किया जाता है।
(ii) ‘भर्ती’ एवं ‘नियुक्ति’ शब्दों को तालमेल के साथ पढ़ा जाना है तथा भर्ती हुए कार्मिकों की वरिष्ठता का निधौरण उनकी वास्तविक नियुक्ति पर निर्भर करेगा ना कि भर्ती प्रक्रिया के आरंभ पर। इस प्रकार यह परिणाम निकलता है कि अब इसके पश्चात से सीधी भर्ती और पदोन्नत हुए कार्मिकों की वरिष्ठता, रिक्ति/रिक्ति वर्ष से अलग की जाती है।
(iii) वरिष्ठता के निर्धारण की वैधता का स्रोत किसी रिक्ति के प्रति किसी व्यक्ति के कार्यभार ग्रहण करने होने की तारीख के संदर्भ में होगा, इस तथ्य के बावजूद कि यह पिछले वर्ष (वर्षो ) में उत्पन्न हुई हो और किसी भी कोटा की अग्रेषित (कैरी फारवर्ड) रिक्ति नहीं है।
(iv) यदि सीधी भर्ती (अथवा पदोन्नत व्यक्तियों) की पर्याप्त संख्या उपलब्ध नही होती है, वरिष्ठता का निर्धारण करने के उद्देश्य से “कोटा का रोटेशन, किसी विशिष्ट वर्ष में कार्यभार ग्रहण करने पर उपलब्ध सीधी भर्ती तथा पदोन्नत व्यक्तियों को उनका सलॉट सौंपने के बाद बंद हो जाएगा।
(v) रोटेशन के उद्देश्य और वरिष्ठता के लिए सीधी भर्ती के साथ-साथ पदोन्नत व्यक्तियों दोनों के मामले में “उपलब्ध” शब्द परिणामों / चयन की घोषणा और यथा निधधारित पूर्व नियुक्ति औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद नियुक्ति का वास्तविक वर्ष होगा।
(vi) इस प्रकार, ऐसे नियुक्त व्यक्ति, जो संबंधित भर्ती वर्ष में कार्यभार ग्रहण करते हैं और जो बाद के वर्ष (वर्षों) में कार्यभार ग्रहण करते हैं, अपनी नियुक्ति के संबंधित वर्षों की वरिष्ठता सूची में शामिल होगें। उस सीमा तक सीधी भर्ती और प्रोन्नत व्यक्तियों के लिए निधारित कोटा के प्रश्न में जाने की आवश्यकता नहीं हो सकती है, ताकि उस वर्ष का पता लगाया जा सके, जिसमें वह रिक्ति हुई थी, जिसके प्रति भर्ती की गई थी।
7. उपर्युक्त के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि प्रोन्नत व्यक्तियों और सीधी भर्ती के बीच परस्पर वरिष्ठता के निर्धारण से संबंधित अनुदेशों को निम्नानुसार संशोधित किया जाए:
(i) एन. आर. परमार मामले में दिनांक 27-11-2012 के आदेश के अनुसरण में जारी दिनांक 04-03-2014 के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के कार्यालय ज्ञापन संख्या 20011/1/2012-स्था(घ), को 19-11-2019 से नॉन-एस्ट/वापस माना जाता है।
(ii) चूंकि, दिनांक 19-11-2019 परस्पर का आदेश संभावित है, सीधी भर्ती किए गए और प्रोन्नत व्यक्तियों की परस्पर वरिष्ठता के मामलों को, जिन पर दिनांक 04-03-2014 के का.ज्ञा. संख्या 20011/1/2012-स्था(घ), के संदर्भ में पहले से ही निर्णय त्रिया जा चुका था, बाधित नही किया जाएगा अर्थात पुराने मामले पुनः नहीं खोलने हैं।
(iii) दिनांक 27-11-2012 और दिनांक 18-11-2019 के मध्य की अवधि के दौरान नियुकत/ कार्यभार ग्रहण करने वाले सीधी भर्ती और पदोन्नत व्यक्तियों के मामले में और दिनांक 18-11-2019 तक परस्पर वरिष्ठता को अंतिम रुप नहीं दिए जा सकने वाले मामले दिनांक 04-03-2014 के कार्यालय ज्ञापन के साथ पठित का.ज्ञा. दिनांक 07-02-1986/03-07-1986 के प्रावधानों द्वारा शासित होगें, जब तक कि किसी न्यायाधिकरण या अदालत द्वारा वरिष्ठता के निर्धारण का एक अलग नियमन/तरीका तय नहीं किया गया हो।
(iv) उन मामलों के लिए, जहां भर्ती प्रक्रिया दिनांक 19-11-2019 से पहले प्रशासनिक विभाग/संवर्ग प्राधिकरण द्वारा शुरु की गई है और जहां कुछ नियुक्तियां 19-11-2019 से पहले की गई हैं और शेष 19-11-2019 को या उसके बाद की गई हैं, सीधी भर्ती और पदोन्नत व्यक्तियों की परस्पर वरिष्ठता भी ऐसे नियुक्त व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए दिनांक 04-03-2014 के काययौलय ज्ञापन के साथ पठित दिनांक 07-02-1986/03-07-1986 के कार्यालय ज्ञापन के प्रावधानों द्वारा शासित होगी।
(v) दिनांक 19-11-2019 को या उसके बाद शुरु की गई भर्तियों और भविष्य की भर्तियों के लिए, उन मामलों के अलावा, जहां भर्ती प्रक्रिया दिनांक 19-11-2019 से पहले प्रशासनिक विभाग/संवर्ग प्राधिकरण द्वारा शुरु की गई है, लेकिन जहां सभी नियुक्तियां भर्ती प्रक्रिया आरंभ होने के बाद दिनांक 19-11-2019 अर्थात सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की तिथि को या उसके बाद की जा सकीं। सीधी भर्तियों और पदोन्नत व्यक्तियों की परस्पर वरिष्ठता, निम्नलिखित तरीके से निधौरित की जाएगी।
(क) अधिसूचित भर्ती नियमों/सेवा नियमों में सीधी भर्ती और पदोन्नति के लिए आवंटित रिक्तियों के प्रतिशत के आधार पर कोटे का रोटेशन किसी भर्ती वर्ष में संबधित कोटा द्वारा भरी जाने वाली रिक्तियों के निधारण के लिए जारी रहेगा।
(ख) सीधी भर्ती और पदोन्नत व्यक्तियों के लिए बीच परस्पर वरिष्ठता का निर्धारण, जो सम्बंधित कोटे की रिक्तियों के प्रति नियुक्त किए जाते हैं उनकी उस वर्ष के संदर्भ में गणना जाएगी, जिसमें उनकी नियुक्ति हुई है अर्थात जिस वर्ष में वे संवर्ग में आए हैं या उनकी औपचारिक नियुक्ति का आदेश जारी किया गया है। यदि, जिस मामले में भर्ती वर्ष व नियुक्ति वर्ष समान हैं नियुक्त व्यक्तियों को उस वर्ष की वरिष्ठता दी जाएगी।
(ग) जहां पदोन्नति या सीधी भर्ती मामले में नियुक्ति का वर्ष अगले वर्ष या भर्ती वर्ष के बाद का कोई वर्ष है ऐसे पदोन्नत व्यक्तियों या सीधी भर्ती की वरिष्ठता का निर्धारण उनके उस पद पर वास्तविक कार्यभार/नियुक्ति ग्रहण करने के वर्ष के संदर्भ में किया जाएगा, क्योंकि वे उस भर्ती वर्ष में कार्यभार ग्रहण करने में सक्षम नहीं थे जिस वर्ष में रिक्ति हुई थी। इस प्रकार, वे उस वर्ष की वरिष्ठता प्राप्त करेंगे, जिस वर्ष में उन्होंने वास्तविक कार्यभार ग्रहण किया है अर्थात जिस वर्ष में औपचारिक नियुक्ति आदेश जारी हुआ है और वे सेवा/संवर्ग में रहे हैं तथा उन्हें उससे पहले के किसी वर्ष की वरिष्ठता नहीं दी जाएगी (यथा रिक्ति/पैनल का वर्ष या वह वर्ष जिसमें भर्ती प्रक्रिया आरंभ की गई)।
(घ) कार्यालय ज्ञापन दिनांक 7.2.1986/3.7.1986 के संदर्भ में परस्पर वरिष्ठता के निर्धारण के उद्देश्य से पदोन्नत व सीधी भर्ती से आए व्यक्तियों के बीच रोटेशन किसी विशेष वर्ष में उपलब्ध सीधी भर्ती और पदोन्नति से आए व्यक्तियों की सीमा तक ही किया जाएगा। कार्यालय ज्ञापन दिनांक 7.2.1986/3.7.1986, में परस्पर वरिष्ठता निर्धारण में कोटे के रोटेशन के उद्देश्य से ‘उपलब्ध सीधी भर्ती अथवा पदोन्नति’ पर आए व्यक्ति शब्द का अर्थ होगा उस वर्ष के दौरान परिणाम/चयन की घोषणा और नियुक्ति पूर्व यथानिर्धारित औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद नियुक्त सीधी भर्ती या पदोन्नति से आए व्यक्तियों की वास्तविक संख्या।
(ङ) उपर्युक्त (घ) के अनुसार, यदि किसी विशेष वर्ष में पर्याप्त संख्या में सीधी भर्ती (या पदोन्नत व्यक्ति) उपलब्ध नहीं होते हैं तो परस्पर वरिष्ठता निर्धारित करने के उद्देश्य से रोटेशन का क्रम उपलबध सीधी भर्ती और पदोन्नत व्यक्तियों के उस वर्ष में उनकी नियुक्ति/कार्यभार ग्रहण करने पर उनके स्लॉट सौंपे जाने के बाद बंद हो जाएगा।
(च) यदि किसी विशेष वर्ष में कोई सीधी नियुक्ति उपलब्ध नहीं है, उपलब्ध पदोन्नतों को पदोन्नति के लिए अनुमोदित पैनल में उनकी पदस्थिति के अनुसार एक साथ समूह में रखा जाएगा। उसी प्रकार यदि उस वर्ष में कोई प्रोन्नत व्यक्ति उपलब्ध नहीं है, तो उपलब्ध सीधे नियुक्त व्यक्ति को चयन प्रक्रिया में प्राप्त उनके स्थान के अनुसार एक साथ समूहित कर दिया जाएगा।
(छ) ऐसे मामले में जहां सीधी भर्ती या पदोन्नत व्यक्ति, जैसा भी मामला हो, पदोन्नति के लिए अनुमोदित दो और चयन/पैनल से संबंधित हो, एक ही वर्ष में कार्यभार ग्रहण करते हैं तो पहले के चयन/पेनल के परिणामस्वरूप नियुक्त हुए/कार्यभार ग्रहण करने वाले व्यक्तियों को बाद के चयन/पैनल में नियुक्त/कार्यभार ग्रहण करने वालों की वरिष्ठता सूची में वरिष्ठता दी जाएगी।
(ज) कार्यालय ज्ञापन दिनांक 7.2.1986 और 3.7.1986 में दिए गए अनुदेश, उपर्युक्त पैराग्राफों में दर्शाई गई सीमा तक संशोधित हैं।
8. ये प्रावधान 19.11.2019 के बाद से प्रभावी होंगे।
9. सभी मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध है कि इन अनुदेशों को सभी संबंधितों के ध्यान में लाएं।
(प्रदीप कुमार)
अवर सचिव, भारत सरकार
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